हनुमान जन्मोत्सव हनुमान जन्मोत्सव की शुभ घड़ी है आई,हर्षोल्लास छाया चहुंओर, आज सबको हो बधाई।पिता केसरी,अंजना थीं माता,ध्यान करने से इनका भक्त, भयमुक्त हो जाता ।मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के परम भक्त हनुमान,सद्गुणों के भंडार, सेवक ,सखा ,सचिव श्री राम।सुग्रीव, श्रीराम के मैत्री रचनाकार ,थे द्वेष रहित, निःस्वार्थ, व हितैषी, सलाहकार।श्री राम संग स्मरण करते सब, जन देवता कहलाए,सबके कष्टों को हरते ,श्रीराम हृदय बस जाएं।भगवान शिव के थे अवतार,तुरंत कष्टों का हरण करें,इनकी स्तुति से भक्त , भय मुक्त हो जाए ।नीता माथुर, लखनऊ स्वरचित/मौलिक
विषय :- किताबें जीवन का पथ रौशन करती,गुरू समान मार्ग दर्शक बनती ।किताबों व लेखक का रिश्ता सहजीवी,लेखक के विचारों को बनाती चिरंजीवी।शब्द -शब्द मोती की लड़ियाॅं ,मनोभावों की जुड़ी हैं कड़ियाॅं ।ज्ञान ,विचार , दृष्टिकोण का अद्भुत हैं रूप,मन पर छाप छोड़ती उनके अनुरूप।ज्ञान, विज्ञान, ब्रह्मांड का रहस्य खोलती ,धरती आकाश, समुंदर की गहराइयों को तोलती।सोहनी -महिवाल,शीरीं -फरहाद इनमें हैं बसते,चाॅंदनी रातों के सपने हैं सजते ।ममता की स्वर लहरी में बहती ,कुछ प्रभु वंदन के शब्दों को कहती।सदाचार, मीठी वाणी सिखातीं,नफरत हटा ,दिलों में प्रेम जगाती। गीता ,रामायण, कुरान ,किताबें हैं पवित्र,बाइबिल, गुरु ग्रन्थ साहिब,शब्द वाणीं महकती जैसी इत्र।जीवन में संजीवनी होती हैं किताबें ,जनमानस को सही राह दिखाती हैं किताबें ।नीता माथुर, लखनऊ ( उत्तर प्रदेश)स्वरचित/मौलिक
कभी तुम ख़्वाब बन करके मेरी आंखों बस जाना,तुम्हारे नाम से ही अब ,दुनियां मुझे दीवाना समझेगी।करेंगे हम तुम्हीं से प्यार,अपने आखिरी दम तक,तुम मिलने आ भी जाना गर तुम्हें से जमाने का डर ना हो।।जमाने ने सिखाया है किसी का एतबार मत करना,करो खुद पे भरोसा तुम,जमाने ने सिखाया है।।करो इतना जतन तुम भी, जमाने में नाम हो जाए,हमारे नाम से पहले जमाने में तुम्हारा नाम हो जाए।।
वक्त की मार होती यहां साथियों, जिसने झेला वो देखो सम्भल ही गया,जिसने आंखों से ओझल किया वक्त को,मार पड़ने पर शायद वो बिखर भी गया।हम प्रतिछा ही करते रहे उम्र भर,वक्त खुद ही मुझसे आगे निकल भी गया।कोई देखे उठा कर के नजरों को यूं,वक्त की मार से हमारा सब लूट गया।।करते रहते हैं कोशिश वक्त से लड़ने की,वक्त हर हाल में हमसे जीतता गया।।
इश्क हम दोनों का मुकम्मल कर देउसे थोडा , मुझे पुरा पागल कर दे ॥दिल है कि मानता नहीं बात अक्ल कीज़रा सी आहट पे मन मे हलचल कर दे॥दिल की आरज़ू हैं उनसे गुफ़्तगू करने कीनिगाहों के इशारों से उनको घायल कर दे ॥चॉंद है चॉंदनी भी और साथ है रात कीबस मेरी साँसों को जरा संदल कर दे ॥“सुर” लिखतें है शायर बातें अजब इश्क़ कीबस तिरे तसव्वुर को तेरी ग़ज़ल कर दे ॥
सुप्रभात 🌞 सुंदर संदेश सुंदर भारत🙏🙏🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳हमारे सभी सपने पूरे हों या न हो , पर हमें हरित भारत बनाना है । स्वयं एक पेड़ लगाकर ,हरियाली से सजाना है ।🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳वायु प्रदूषण को कम करना है,जल को भी बचाना है ,प्रचुर मात्रा में अन्न उगे,हरित क्रांति को लाना है ।सौर ऊर्जा का करना उपयोग ,विद्युत को बचाना है ,आपस में सहयोग करके ,सुंदर भारत बनाना है ।🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳नीता माथुर स्वरचित/ मौलिक 🙏🙏
कामाख्या की तेरी जोत निरालीभक्तों के सारे दुःख हरने वाली है सुख समृद्धि से संपन्न कर देती हैमैया तेरी हर बात निराली तू जगदंबा तू है कालीकाट दिया अपना सरभक्तों की भूख मिटाईछिन्नमस्ता तब तु कहलाईंमैया तेरी हर बात निराली तू जगदंबा तू है काली
तू अंबा है जगदंबा हैकामाख्या तु परम सुंदरी बाला है प्रकृति है तू ही चामुंडा हैआदि शक्ति तु गोरा है तु काली है महाकाली हैदुष्टों संहार करने वाली है तु कल्याणकारिणी है तु मोक्षदायिनी तु शैलपुत्री है ,तु ही कालरात्रि है तु शक्ति ही है तु ही ज्वाला हैपाप सभी के मिट जाते हैं तेरी शरण में जो आ जाते हैं बिगड़ी सबकी बनती है तू मां काली है तू मां काली हैकामाख्या में पूजी जाती ज्वाला तेरी बड़ी निरालीभक्तों की भी मन्नत पूरी हो जाती बिगड़ी सबकी तू बनती हैतू मां काली है तू मां काली है
मिल जाया करते हैं चार कंधे मरने के बाद अक्सरकाश जीते जी एक कंधा भी मिला होताबैठ जनाजे के पास लोग रोया करते अक्सरकाश कभी मिलने भी आया करतेबहुत याद करते है लोग मरने के बाद अक्सरकाश जीते जी याद किया करते
इश्क के जज्बातों का फैसला आसान नहीं होता बदनाम होने के बाद भी इश्क बदनाम नहीं होता खामोशी के पीछे छुपे दर्द को भी पहचान लेते हैं कौन कहता है की आंखों से बहते आंसू कोई नाम नहीं होतासोचा था कि तेरा साथ उम्र भर का होगा पर इस जहां में इश्क मुकम्मल कहां होताखत्म कर दी जिंदगी उसके पीछे भाग के कौन कहता है की इश्क में इंसान बर्बाद नहीं होता
मोहब्बत इस जहां में बदनाम है साहबभाई बहन रिश्ता कोहिनूर के समान है साहब रिश्ते की मिठास को बचाते हैं अपने प्यार को छुपाते हैं लड़ाई झगड़ा करके घर को सर पे उठाते हैं साहब घरवाले भी इन से परेशान है ,घर में दोनों ऐसे लड़तेजैसे एक म्यान में दो तलवार हो साहब भाई बहन भी कमाल है ,प्यार को छुपा लेतेझगड़ा सरेआम दिखा देते इनके इस रिश्ते को भी सलाम है साहब
बिन कहे हर बातों को समझ लेती हैहर बात बताने की जरूरत नहीं पड़ती है मां है हंसी के पीछे छुपे दर्द को भी वह पहचान लेती हैक्या जज्बात अपने बताऊं उसे जो मेरे हर जज्बातों को पहचान लेती हैपानी में भी मेरे आंसू को मेरी मां पहचान लेती है
घर से बड़ रही दूरियां आ रही कौन सी मजबूरियां नौकरी पढ़ाई टेंशन सब बढ़ती जा रहीं प्यारी सी मुस्कान खोती जा रहीतस्वीर सवारने को निकले घर सेघर के ही मेहमान बन निकले चार पल की खुशियां किस्तों में मिल रहीघर जाने के लिए छुट्टियां लेनी पड़ रही
राम जन्मोत्सव शुभ बेला श्रीराम जन्मोत्सव की आई,महके हैं पुष्प चंदन पवन लहराई। चैत्र माह,शुक्ल पक्ष ,शोभित घड़ी रमणींक,जन्मोत्सव श्री राम का ,मर्यादा के प्रतीक।दशरथ राघव, राम किशोर, रमेश है नाम ,रघुनंदन, रमित , रामोजी, रघुनंदन ,करुणानिधान ।बाजे ,ढोलक ,झांझ , मंजीरे,प्यारे ललना हैं कौशल्या दुलारे ।लालओष्ठ, घुंघराले बाल चमकीले,बाजे पैजनियां,ठुमक कर चलें राम सजीले ।छवि समाए अगणित सूर्य,पर्वत, नदियाॅं समुद्र चन्द्रमा,और कर्म ,गुण ,ज्ञान शिव ,ब्रह्मा।सद्गुणीं, ,उदार, बाल राम छवि मनमोहित,निडर , पराक्रमी ,विनयशील व्यक्तित्व।नव ज्योत्सना नव दीप जले, दशरथ नंदन के हो रहे स्वागत गान.. ।हर्षोल्लास से घर मंदिर गूॅंज रहा एक ही नाम श्रीराम !जन्मोत्सव पर नत मस्तक हो, करते अभिनंदन! प्रणाम ।नीता माथुर, लखनऊ स्वरचित/ मौलिक
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